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Showing posts with the label 12th Notes in Hindi

Class 9 – History Chapter 1: The French Revolution

📘 Chapter 1: The French Revolution – Summary 🔰 Introduction: The French Revolution began in 1789 and is one of the most significant events in world history. It marked the end of monarchy in France and led to the rise of democracy and modern political ideas such as liberty, equality, and fraternity . 🏰 France Before the Revolution: Absolute Monarchy: King Louis XVI ruled France with complete power. He believed in the Divine Right of Kings. Social Structure (Three Estates): First Estate: Clergy – privileged and exempt from taxes. Second Estate: Nobility – also exempt from taxes and held top positions. Third Estate: Common people (peasants, workers, merchants) – paid all taxes and had no political rights. Economic Crisis: France was in heavy debt due to wars (especially helping the American Revolution). Poor harvests and rising food prices led to famine and anger among the poor. Tax burden was unfairly placed on the Third Estate. Ideas of Enlightenmen...

End of Bipolarity 12th Political Science Notes

 सोवियत संघ का विघटन और इसके वैश्विक प्रभाव सोवियत संघ (USSR) का विघटन 1991 में हुआ, जिसने द्विध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Bipolar World Order) के अंत की शुरुआत की। यह घटना न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, बल्कि इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था, कूटनीति और शक्ति संतुलन को भी गहराई से प्रभावित किया। सोवियत संघ का पतन केवल एक देश का विघटन नहीं था, बल्कि यह समाजवादी व्यवस्था के पतन और पूंजीवादी व्यवस्था की विजय के रूप में देखा गया। इस निबंध में, हम सोवियत संघ के विघटन के कारणों, इसके प्रभावों और भारत सहित विश्व राजनीति पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। सोवियत संघ का गठन और विशेषताएँ सोवियत संघ की स्थापना सोवियत संघ (Union of Soviet Socialist Republics - USSR) की स्थापना 1922 में हुई थी। यह 15 गणराज्यों (Republics) का एक संघ था, जिसमें रूस, यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान आदि शामिल थे। यह समाजवादी (Socialist) विचारधारा पर आधारित था, जिसका उद्देश्य समानता और राज्य के नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था स्थापित करना था। सोवियत संघ की विशेषताएं 1. राज्य...

Recent Development In Indian Politics : Class 12th Notes in hindi

 भारतीय राजनीति में हालिया परिवर्तन भारत की राजनीति ने 1980 के दशक के अंत से लेकर अब तक कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। इस दौरान एक-दलीय वर्चस्व (Single-Party Dominance) की समाप्ति, गठबंधन सरकारों (Coalition Governments) का उदय, आर्थिक उदारीकरण (Economic Liberalization), जाति आधारित राजनीति (Caste-Based Politics), और धार्मिक मुद्दों (Religious Issues) का राजनीति पर प्रभाव प्रमुख रहे। इस लेख में 1989 से लेकर वर्तमान तक की राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण किया गया है, जिससे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर पड़े प्रभाव को समझा जा सके। 1. 1990 का दशक: भारतीय राजनीति का एक नया मोड़ 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। कांग्रेस के वर्चस्व का पतन, मंडल आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन, नई आर्थिक नीति, राम जन्मभूमि आंदोलन, और गठबंधन सरकारों का दौर इसी समय शुरू हुआ। 1.1 कांग्रेस का पतन और बहुदलीय राजनीति की शुरुआत 1947 से 1989 तक भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी का दबदबा था। लेकिन 1989 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 197 सीटों पर सिमट जा...

Regional Aspirations in India

क्षेत्रीय आकांक्षाएँ (Regional Aspirations) –  भारत एक बहु-सांस्कृतिक, बहुभाषी और विविधतापूर्ण राष्ट्र है, जहाँ विभिन्न क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट पहचान और आकांक्षाएँ हैं। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने एक संघीय ढाँचा (Federal Structure) अपनाया, जिससे विभिन्न राज्यों को स्वायत्तता और पहचान बनाए रखने का अवसर मिला। हालांकि, कई क्षेत्रों में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों से क्षेत्रीय असंतोष भी उत्पन्न हुआ। क्षेत्रीय आकांक्षाएँ कभी-कभी राजनीतिक स्वायत्तता (Political Autonomy), कभी अलग राज्य की माँग, और कभी-कभी पूर्ण स्वतंत्रता (Secession) की माँग के रूप में सामने आई हैं। भारत सरकार ने विभिन्न तरीकों से इन आंदोलनों का समाधान करने की कोशिश की, जैसे कि संविधान संशोधन, राजनीतिक समझौते, सैन्य हस्तक्षेप और आर्थिक विकास योजनाएँ। इस विषय में, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर-पूर्वी भारत, और तमिलनाडु जैसे प्रमुख क्षेत्रों के क्षेत्रीय संघर्षों और उनके समाधान का अध्ययन किया जाता है। कुछ संघर्ष जैसे मिज़ोरम (1986 समझौता) शांति से हल हो गए, जबकि कुछ मामलों में हिंसा और उग्रवाद देखने को मिला, जैसे कि ...

12th Political Science Notes Chapter-6 : The Crisis Of Democratic Order

  आपातकाल (1975-77) – भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा संकट यह नोट्स 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के "लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट" अध्याय का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इसमें 1975-77 के आपातकाल की पृष्ठभूमि, कारण, प्रभाव और इसके परिणामों को विस्तार से समझाया गया है। मुख्य बिंदु: राजनीतिक परिप्रेक्ष्य (1971-75): इंदिरा गांधी की सरकार को बढ़ते असंतोष और विपक्षी आंदोलनों का सामना करना पड़ा। आर्थिक संकट: बांग्लादेश युद्ध, 1973 का तेल संकट, महंगाई और बेरोजगारी। न्यायिक फैसले और विरोध: इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय और जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण क्रांति आंदोलन। आपातकाल की घोषणा: अनुच्छेद 352 के तहत मौलिक अधिकारों का निलंबन, प्रेस सेंसरशिप और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी। संवैधानिक परिवर्तन: 42वां और 44वां संविधान संशोधन, आपातकाल के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुधार। राजनीतिक परिणाम: 1977 का आम चुनाव, जनता पार्टी की जीत और कांग्रेस की ऐतिहासिक हार। यह विषय भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने भविष्य में संवैधानिक सुरक्षा उपायों को मजबूत किया। आपातकाल की पृष्ठभूम...

12th राजनीति विज्ञान : समकालीन विश्व मे सुरक्षा

उपरोक्त पाठ में सुरक्षा (Security) की अवधारणा, उसकी परिभाषा, तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चिंताओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस विश्लेषण में हम निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देंगे: 1. सुरक्षा की परिभाषा और उसकी व्यापकता सुरक्षा का मूल अर्थ है—खतरे से मुक्ति। हालांकि, हर प्रकार के खतरे को सुरक्षा संकट नहीं कहा जा सकता। सुरक्षा उन खतरों से संबंधित होती है जो किसी देश या समाज के "मूल्यों" (Core Values) को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यहाँ प्रश्न उठता है कि किन मूल्यों को प्राथमिकता दी जाए—सरकार द्वारा तय किए गए राष्ट्रीय मूल्य या आम नागरिकों के मूल्य? सुरक्षा का दायरा बहुत व्यापक हो सकता है, लेकिन यदि इसे असीमित रूप से परिभाषित किया जाए तो हर छोटी-बड़ी घटना सुरक्षा संकट बन सकती है। इसलिए, सुरक्षा का संबंध उन खतरों से होता है जो मूल्यों को "अप्रत्यावर्तनीय" (Irreparable) नुकसान पहुँचा सकते हैं। 2. सुरक्षा की गतिशील अवधारणा सुरक्षा एक स्थिर अवधारणा नहीं है। समय और परिस्थितियों के अनुसार समाजों की सुरक्षा को लेकर सोच बदलती रहती है। सभी देशों और समाजों की सु...

12th Political Science Important Question-Answer : Globalization

बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न (1 अंक) 1. वैश्वीकरण को परिभाषित करें। वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, सूचना, संस्कृति और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान के माध्यम से परस्पर जुड़ाव और परस्पर निर्भरता बढ़ती है। 2. वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? व्यापार और निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण। प्रौद्योगिकी और संचार का प्रसार। सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समरूपीकरण। बहुराष्ट्रीय निगमों (MNCs) की बढ़ती भूमिका। 3. वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नाम बताइए। विश्व व्यापार संगठन (WTO) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) 4. "सांस्कृतिक समरूपीकरण" का क्या अर्थ है? सांस्कृतिक समरूपीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें स्थानीय संस्कृतियाँ वैश्विक संस्कृति के प्रभाव में आकर एक जैसी हो जाती हैं, जो अक्सर पश्चिमी मूल्यों से प्रभावित होती हैं। 5. वैश्वीकरण का अर्थव्यवस्था पर कोई एक प्रभाव बताइए। वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई है, जिससे देशों को नए बाजारों तक पहुँचने और अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार करने का अवसर मिला है। छ...

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