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12th Political Science Complete Notes

  📘 Part A: Contemporary World Politics (समकालीन विश्व राजनीति) The Cold War Era (शीत युद्ध का दौर) The End of Bipolarity (द्विध्रुवीयता का अंत) US Hegemony in World Politics ( विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व ) Alternative Centres of Power ( शक्ति के वैकल्पिक केंद्र ) Contemporary South Asia ( समकालीन दक्षिण एशिया ) International Organizations ( अंतर्राष्ट्रीय संगठन ) Security in the Contemporary World ( समकालीन विश्व में सुरक्षा ) Environment and Natural Resources ( पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन ) Globalisation ( वैश्वीकरण ) 📘 Part B: Politics in India Since Independence (स्वतंत्रता के बाद भारत में राजनीति) Challenges of Nation-Building (राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ) Era of One-Party Dominance (एक-दलीय प्रभुत्व का युग) Politics of Planned Development (नियोजित विकास की राजनीति) India’s External Relations (भारत के विदेश संबंध) Challenges to and Restoration of the Congress System ( कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना ) The Crisis of Democratic...

Class 11 Political Science – Legislature Chapter Questions & Answers | NCERT Notes

📝 चैप्टर – 5: विधायिका (Legislature)

भारत में केद्रीय विधायिका को संसद के नाम से जानते हैं. आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

भाग – 1 : संसद की आवश्यकता और भूमिका

1. संसद की आवश्यकता और लोकतंत्र में भूमिका

  • लोकतंत्र में संसद केवल कानून बनाने तक सीमित नहीं है; यह जनता की इच्छाओं, आकांक्षाओं और समस्याओं को प्रतिबिंबित करने का मंच है।
  • संसद के माध्यम से नागरिक अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के जरिए शासन में भाग लेते हैं।
  • कार्यपालिका (कैबिनेट) संसद के प्रति जवाबदेह रहती है। प्रश्नकाल, शून्यकाल और अविश्वास प्रस्ताव जैसे उपकरण इस जवाबदेही को सुनिश्चित करते हैं।
  • संसद विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय समूहों के हितों को संतुलित करती है और राष्ट्रीय नीतियों को आकार देती है।

2. दो सदनों वाली संसद की आवश्यकता

  • भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में सभी क्षेत्रों और समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए द्विसदनात्मक व्यवस्था आवश्यक है।
  • दोनों सदन विधेयकों पर गहन चर्चा और आवश्यकतानुसार संशोधनों की सुविधा प्रदान करते हैं।
  • लोकसभा सीधे जनता द्वारा चुनी जाती है, इसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है और यह सरकार गठन तथा धन विधेयक पारित करने के लिए उत्तरदायी है।
  • राज्यसभा अप्रत्यक्ष रूप से चुनी जाती है, यह स्थायी सदन है जिसमें प्रत्येक दो वर्ष में एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा जैसे क्षेत्रों से 12 सदस्यों को नामित करते हैं। राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व और विधायी स्थिरता प्रदान करती है।

3. भारतीय और अमेरिकी मॉडल की तुलना

  • भारत में राज्यसभा में प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर होता है, जिससे बड़े राज्यों को अधिक सीटें मिलती हैं जबकि छोटे राज्यों को कम सीटें (अनुसूची 4 के अनुसार)
  • अमेरिकी सीनेट में सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त है।
  • भारतीय मॉडल भारत की विविध और असमान जनसंख्या के लिए अधिक उपयुक्त है।
  • राज्यसभा का स्थायी स्वरूप, संसद के कामकाज को लोकसभा भंग होने पर भी जारी रखता है।

4. संसद के प्रभाव और कार्य

  • संसद में वाद-विवाद और विरोध लोकतंत्र को जीवंत बनाते हैं।
  • उदाहरण के तौर पर, उर्वरक और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि पर संसद में विरोध के कारण सरकार को नीति वापस लेनी पड़ी।
  • असम जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर विशेष चर्चा ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।
  • दलितों के खिलाफ अत्याचार जैसे सामाजिक मुद्दों पर संसद ने दबाव बनाकर नीति में बदलाव करवाया।
  • संसद सार्वजनिक मुद्दों पर नीतियों को प्रभावित करती है।

5. निष्कर्ष

  • संसद लोकतंत्र का हृदय है, जो कानून निर्माण, जवाबदेही और प्रतिनिधित्व के माध्यम से शासन को मजबूत करती है।
  • द्विसदनीय प्रणाली भारत की विविधता और जटिलता को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भाग – 2 : संसद के कार्य, शक्तियां और प्रक्रियाएं

1. संसद के प्रमुख कार्य

  • विधायी कार्य: संसद का प्राथमिक कार्य कानून निर्माण है। विधेयक का प्रारूप नौकरशाही और मंत्रियों द्वारा तैयार होता है और इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलना आवश्यक है।
  • कार्यपालिका पर नियंत्रण: प्रश्नकाल, शून्यकाल और अविश्वास प्रस्ताव जैसे उपकरणों से सरकार को जवाबदेह बनाया जाता है।
  • वित्तीय नियंत्रण: बजट और वित्तीय विवरण संसद की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो सकते। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किए जाते हैं।
  • प्रतिनिधित्व: संसद विभिन्न सामाजिक, क्षेत्रीय और आर्थिक समूहों की आवाज़ को मंच प्रदान करती है।
  • संवैधानिक कार्य: संविधान संशोधन के लिए दोनों सदनों में विशेष बहुमत आवश्यक है।
  • चुनावी और न्यायिक कार्य: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव, तथा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया में भागीदारी।

2. लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियों में अंतर

  • लोकसभा की विशेष शक्तियां: धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किए जाते हैं; कार्यपालिका केवल लोकसभा के प्रति जवाबदेह होती है; अविश्वास प्रस्ताव द्वारा सरकार को हटाया जा सकता है।
  • राज्यसभा की विशेष शक्तियां: राज्य सूची के विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर विधायी शक्ति संसद को स्थानांतरित करने के लिए विशेष शक्ति; लोकसभा भंग होने की स्थति में राष्ट्रीय आपातकाल का अनमोदन।
  • समान शक्तियां: संविधान संशोधन के सन्दर्भ में दोनों सदन की शक्तियां बराबर है। सामान्य विधेयकों पर भी दोनों सदनों की शक्तियां बराबर है लेकिन गतिरोध की स्थिति में संयुक्त बैठक बुलाये जाने की दशा में अधिक संख्या बल के कारण लोकसभा की स्थिति मजबूत हो जाती है।

3. विधि निर्माण की प्रक्रिया

  • प्रारूप तैयार करना → कैबिनेट की मंजूरी → संसद में तीन वाचन (परिचय, विस्तृत चर्चा/समिति समीक्षा, अंतिम मतदान) → दोनों सदनों की मंजूरी → राष्ट्रपति की सहमति।
  • असहमति होने पर संयुक्त सत्र बुलाया जाता है।
  • धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किए जाते हैं; राज्यसभा केवल सुझाव दे सकती है।

4. कार्यपालिका पर नियंत्रण के उपकरण

  • प्रश्नकाल: सांसद मंत्रियों से नीतियों और कार्यों पर सवाल पूछते हैं।
  • शून्यकाल: अनिर्धारित मुद्दों पर त्वरित चर्चा।
  • अविश्वास प्रस्ताव: सरकार को हटाने का उपकरण।
  • संसदीय समितियां: लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, संयुक्त संसदीय समिति आदि द्वारा विधेयकों और नीतियों की गहन समीक्षा।

5. संसद की आत्म-नियामक व्यवस्था

  • लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति संसदीय कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं।
  • दल-बदल विरोधी कानून (1985, संशोधित 2003) दल-बदल को रोकने के लिए लागू किया गया, लेकिन यह पार्टी नेतृत्व को अत्यधिक शक्ति देता है।
  • सांसदों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिनका दुरुपयोग भी देखा गया है।

6. विश्लेषण और चुनौतियां

  • ताकत: संसद लोकतंत्र का आधार है; जवाबदेही और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है; संसदीय समितियां कार्यपालिका पर अंकुश लगाती हैं।
  • कमियां: सत्रों की संख्या और बहस की गुणवत्ता में कमी; राजनीतिक टकराव और व्यवधान से कार्यक्षमता प्रभावित; दल-बदल कानून की सीमाएं।
  • सुधार की आवश्यकता: सत्रों की अवधि व गुणवत्ता बढ़ाना; संसदीय समितियों को सशक्त बनाना; दल-बदल कानून में संशोधन कर आंतरिक लोकतंत्र मजबूत करना।

7. निष्कर्ष

  • संसद भारतीय लोकतंत्र का आधार स्तंभ है, जो विधायी, वित्तीय और कार्यकारी नियंत्रण के माध्यम से शासन को मजबूत करती है।
  • इसकी प्रभावशीलता सांसदों की सक्रियता, समय प्रबंधन और राजनीतिक सहमति पर निर्भर करती है।
  • सुधारों के माध्यम से संसद की कार्यक्षमता और पारदर्शिता को बढ़ाया जा सकता है।

अभ्यास प्रश्नोत्तर

बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न (1 अंक)

  1. भारत की संसद कितने सदनों वाली है? → दो – लोकसभा और राज्यसभा।
  2. लोकसभा के सदस्यों का चुनाव कैसे होता है? → प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा, वयस्क मताधिकार के आधार पर।
  3. राज्यसभा को स्थायी सदन क्यों कहा जाता है? → यह भंग नहीं होती; हर 2 वर्ष में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।
  4. लोकसभा का कार्यकाल कितना है? → 5 वर्ष (भंग भी हो सकती है)।
  5. राष्ट्रपति कितने सदस्यों को राज्यसभा में नामित करता है? → 12 सदस्य।
  6. लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या कितनी है? → 543 सदस्य।
  7. राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल कितना होता है? → 6 वर्ष।
  8. राज्यसभा का अध्यक्ष कौन होता है? → उपराष्ट्रपति।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (2–3 अंक)

  1. संसद लोकतंत्र में क्यों आवश्यक है? → यह जनता की आवाज़ को मंच देती है, कानून निर्माण करती है, कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है, नीति निर्माण और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
  2. संसद के मुख्य कार्य क्या हैं? → कानून बनाना/संशोधन करना, सरकार को जवाबदेह रखना (प्रश्नकाल, शून्यकाल), जनता व क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व, बजट और नीतियों पर चर्चा।
  3. द्विसदनीय संसद के लाभ बताइए। → विविधता का प्रतिनिधित्व, गहन विचार-विमर्श, स्थिरता और निरंतरता, शक्ति संतुलन।
  4. लोकसभा और राज्यसभा में दो अंतर लिखिए। → लोकसभा प्रत्यक्ष चुनाव; राज्यसभा अप्रत्यक्ष। लोकसभा सरकार बनाती/गिराती; राज्यसभा नहीं।
  5. राज्यसभा के स्थायी स्वरूप का महत्व। → निरंतरता व स्थिरता; लोकसभा भंग होने पर भी काम जारी; विशेषज्ञता का उपयोग।
  6. राज्यसभा और अमेरिकी सीनेट में अंतर। → भारत में राज्यों को जनसंख्या के आधार पर सीटें; अमेरिका में बराबर सीटें।
  7. संसद के नियंत्रण के दो साधन बताइए। → प्रश्नकाल, शून्यकाल, अविश्वास प्रस्ताव।
  8. संसद में विरोध व बहस का एक उदाहरण दीजिए। → उर्वरक/पेट्रोल मूल्य वृद्धि पर संसद के दबाव से सरकार ने फैसला वापस लिया।

लंबे उत्तर वाले प्रश्न (4 अंक)

  1. संसद के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए। → (1) कानून निर्माण (2) कार्यपालिका पर निगरानी व जवाबदेही (3) वित्तीय कार्य (बजट, कर, व्यय स्वीकृति) (4) प्रतिनिधित्व – जनता व राज्यों का (5) सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा (6) संवैधानिक संशोधन।
  2. भारत में द्विसदनीय संसद की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए। → (1) विविधता वाला देश – सभी की आवाज़ (2) दो सदनों से गहन विचार-विमर्श (3) राज्यसभा स्थायी सदन – स्थिरता (4) लोकसभा-राज्यसभा से शक्ति संतुलन (5) लोकतंत्र को मजबूती।
  3. राज्यसभा के विशेष अधिकार व भूमिका लिखिए। → (1) राज्यों का प्रतिनिधित्व (2) स्थायी सदन (3) विशेषज्ञों का योगदान (12 नामांकित) (4) कुछ विशेष मामलों में शक्तियां – अखिल भारतीय सेवाओं का गठन (5) लोकसभा भंग होने पर भी विधायी कार्य जारी।
  4. संसद लोकतंत्र को कैसे प्रभावित करती है? → (1) बहस/वाद-विवाद से पारदर्शिता (2) नीतियों पर दबाव डालकर बदलाव (3) कार्यपालिका की जवाबदेही (4) राष्ट्रीय मुद्दों पर मंच (5) सार्वजनिक भागीदारी का प्रतीक।

परीक्षा टिप

  • छोटे उत्तरों को याद करने में आसानी के लिए बिंदु-रूप में पढ़ें।
  • लंबे उत्तरों को 5–6 बिंदुओं में तैयार करें।
  • प्रश्नकाल, शून्यकाल, अविश्वास प्रस्ताव जैसे टर्म्स जरूर याद रखें।

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