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12th Political Science Complete Notes

  📘 Part A: Contemporary World Politics (समकालीन विश्व राजनीति) The Cold War Era (शीत युद्ध का दौर) The End of Bipolarity (द्विध्रुवीयता का अंत) US Hegemony in World Politics ( विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व ) Alternative Centres of Power ( शक्ति के वैकल्पिक केंद्र ) Contemporary South Asia ( समकालीन दक्षिण एशिया ) International Organizations ( अंतर्राष्ट्रीय संगठन ) Security in the Contemporary World ( समकालीन विश्व में सुरक्षा ) Environment and Natural Resources ( पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन ) Globalisation ( वैश्वीकरण ) 📘 Part B: Politics in India Since Independence (स्वतंत्रता के बाद भारत में राजनीति) Challenges of Nation-Building (राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ) Era of One-Party Dominance (एक-दलीय प्रभुत्व का युग) Politics of Planned Development (नियोजित विकास की राजनीति) India’s External Relations (भारत के विदेश संबंध) Challenges to and Restoration of the Congress System ( कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना ) The Crisis of Democratic...

12th राजनीति विज्ञान : समकालीन विश्व मे सुरक्षा

सुरक्षा की अवधारणा: पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा

1. सुरक्षा की परिभाषा और व्यापकता

  • परिभाषा: सुरक्षा का अर्थ है खतरे से मुक्ति। यह उन खतरों से संबंधित है जो समाज या देश के मूल्यों (Core Values) को अपूरणीय (Irreparable) नुकसान पहुँचाते हैं।
    • मूल्य: राष्ट्रीय मूल्य (जैसे संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता) और नागरिकों के मूल्य (जैसे जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान)।
    • प्रश्न: प्राथमिकता किसे दी जाए—राष्ट्रीय मूल्यों या नागरिकों के मूल्यों को?
  • व्यापकता:
    • सुरक्षा का दायरा व्यापक है, लेकिन इसे असीमित नहीं किया जा सकता, अन्यथा हर छोटी घटना सुरक्षा संकट बन जाएगी।
    • उदाहरण: युद्ध, आतंकवाद, और प्राकृतिक आपदाएँ गंभीर खतरे हैं, जबकि छोटी चोरी सुरक्षा संकट नहीं है।
  • विश्लेषण: सुरक्षा की परिभाषा को संतुलित करना आवश्यक है ताकि यह केवल सैन्य खतरों तक सीमित न रहे, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं को भी शामिल करे।

2. सुरक्षा की गतिशील अवधारणा

  • परिवर्तनशील प्रकृति:
    • सुरक्षा की अवधारणा समय, स्थान और परिस्थितियों के साथ बदलती है।
    • उदाहरण: शीत युद्ध के दौरान परमाणु युद्ध मुख्य खतरा था, जबकि आज जलवायु परिवर्तन और साइबर हमले प्रमुख हैं।
  • विविधता: सभी देशों की सुरक्षा चिंताएँ एकसमान नहीं होतीं।
    • उदाहरण: विकसित देशों (जैसे अमेरिका) के लिए साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण है, जबकि विकासशील देशों (जैसे भारत) के लिए आंतरिक अस्थिरता और गरीबी बड़ी चुनौतियाँ हैं।
  • ऐतिहासिक परिवर्तन:
    • प्राचीन काल में सुरक्षा का अर्थ कबीलों की रक्षा था, मध्यकाल में सामंती युद्ध, और आधुनिक युग में राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा।
  • विश्लेषण: सुरक्षा की गतिशील प्रकृति इसे जटिल बनाती है, और नीतियों को समय के साथ अपडेट करना आवश्यक है।

3. पारंपरिक सुरक्षा (Traditional Security)

  • परिभाषा: मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित, जिसमें बाहरी सैन्य खतरे (External Military Threats) प्रमुख हैं।
  • प्रमुख तत्व:
    1. सैन्य खतरों से सुरक्षा:
      • देश की संप्रभुता, स्वतंत्रता, और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा।
      • उदाहरण: भारत-पाकिस्तान (1971 युद्ध) और भारत-चीन (1962 युद्ध)।
    2. युद्ध और नागरिक प्रभाव: युद्ध सैनिकों के साथ-साथ नागरिकों को भी प्रभावित करता है।
      • उदाहरण: द्वितीय विश्व युद्ध में नागरिक हताहत।
  • सुरक्षा नीतियाँ:
    1. निवारण (Deterrence): आक्रामक देश को युद्ध की उच्च लागत का भय दिखाना।
      • उदाहरण: भारत का परमाणु हथियार कार्यक्रम।
    2. रक्षा (Defence): हमले की स्थिति में देश की रक्षा करना।
      • उदाहरण: भारत की सीमा पर सैन्य तैनाती।
    3. शक्ति संतुलन (Balance of Power): पड़ोसी देशों के साथ सैन्य संतुलन बनाए रखना।
      • उदाहरण: भारत का रूस और अमेरिका के साथ रक्षा सौदे।
    4. गठबंधन निर्माण (Alliance Building): अन्य देशों के साथ सैन्य गठजोड़।
      • उदाहरण: भारत का क्वाड (QUAD) गठबंधन (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया)।
  • वैश्विक व्यवस्था:
    • वैश्विक राजनीति में कोई केंद्रीय सत्ता नहीं, इसलिए देशों को स्वयं अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी पड़ती है।
    • संयुक्त राष्ट्र की सीमाएँ: UN की शक्ति सदस्य देशों की इच्छा पर निर्भर करती है।
  • विश्लेषण: पारंपरिक सुरक्षा सैन्य शक्ति पर केंद्रित है, लेकिन यह आंतरिक स्थिरता और वैश्विक सहयोग के बिना अधूरी है।

4. पारंपरिक सुरक्षा और आंतरिक आयाम

  • आंतरिक सुरक्षा का महत्व:
    • बाहरी खतरों के साथ-साथ आंतरिक अस्थिरता (हिंसा, विद्रोह, आतंकवाद) भी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करती है।
    • उदाहरण: भारत में कश्मीर और नक्सलवाद।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद परिदृश्य:
    • महाशक्तियों (अमेरिका, सोवियत संघ) के लिए आंतरिक सुरक्षा कम चिंता थी, क्योंकि उनके देश स्थिर थे।
    • पश्चिमी यूरोप में भी आंतरिक विद्रोह कम थे, इसलिए ध्यान बाहरी खतरों पर केंद्रित था।
  • औपनिवेशिक युद्ध और नव स्वतंत्र देश:
    • औपनिवेशिक शक्तियों (फ्रांस, ब्रिटेन) को उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलनों का सामना करना पड़ा।
      • उदाहरण: वियतनाम में फ्रांस और केन्या में ब्रिटेन।
    • नव स्वतंत्र देशों की चुनौतियाँ:
      • बाहरी खतरे: पड़ोसी देशों से युद्ध (जैसे भारत-पाकिस्तान)।
      • आंतरिक खतरे: अलगाववादी आंदोलन और गृहयुद्ध।
      • आँकड़ा: 1946-1991 के बीच गृहयुद्धों की संख्या में 12 गुना वृद्धि
  • विश्लेषण: आंतरिक और बाहरी खतरे आपस में जुड़े होते हैं। पड़ोसी देश आंतरिक विद्रोह को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे सुरक्षा नीतियों में दोनों को संबोधित करना आवश्यक है।

5. पारंपरिक सुरक्षा और सहयोग

  • सहयोग की आवश्यकता:
    • युद्ध और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए सहयोग जरूरी है।
    • उदाहरण: युद्ध के नियम (जैसे जिनेवा संधि) और हथियार नियंत्रण।
  • युद्ध में नैतिकता:
    • युद्ध केवल "सही कारणों" (जैसे आत्मरक्षा, नरसंहार रोकना) के लिए लड़ा जाना चाहिए।
    • गैर-लड़ाकों, निहत्थे सैनिकों और आत्मसमर्पण करने वालों की रक्षा।
    • विश्लेषण: नैतिकता का उल्लंघन (जैसे, अमेरिका का इराक युद्ध) सैन्य कार्रवाइयों की वैधता पर सवाल उठाता है।
  • निरस्त्रीकरण (Disarmament):
    • कुछ हथियारों (जैसे जैविक, रासायनिक) को नष्ट करना।
    • उदाहरण: BWC (1972) और CWC (1992) में 155+ और 181 देशों ने हस्ताक्षर किए।
    • सीमाएँ: परमाणु हथियारों पर सहमति की कमी।
  • शस्त्र नियंत्रण (Arms Control):
    • हथियारों की संख्या और विकास को सीमित करना।
    • उदाहरण: ABM संधि (1972), SALT II, START, NPT (1968)
    • आलोचना: NPT को पक्षपाती माना जाता है, क्योंकि यह कुछ देशों को परमाणु हथियार रखने की अनुमति देता है।
  • विश्वास-निर्माण उपाय (CBMs):
    • सैन्य योजनाओं की पारदर्शिता और गलतफहमियों को कम करना।
    • उदाहरण: शीत युद्ध में अमेरिका-सोवियत सूचना साझा करना।
  • विश्लेषण: सहयोग युद्ध की संभावना को कम करता है, लेकिन भू-राजनीतिक स्वार्थ इसे सीमित करते हैं।

6. गैर-पारंपरिक सुरक्षा (Non-Traditional Security)

  • परिभाषा: मानव और वैश्विक सुरक्षा पर केंद्रित, जो सैन्य खतरों से परे आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को शामिल करती है।
  • प्रमुख क्षेत्र:
    1. आतंकवाद:
      • सुनियोजित हिंसा से राजनीतिक लक्ष्य प्राप्त करना।
      • उदाहरण: 9/11 हमले।
      • विश्लेषण: सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक असमानता को दूर करना जरूरी।
    2. मानवाधिकार:
      • तीन प्रकार: राजनीतिक, आर्थिक-सामाजिक, और अल्पसंख्यक/स्वतंत्रता अधिकार।
      • विश्लेषण: मानवाधिकारों की रक्षा के नाम पर सैन्य हस्तक्षेप विवादास्पद है।
    3. वैश्विक गरीबी और प्रवासन:
      • आँकड़ा: 2050 तक विश्व जनसंख्या 10 अरब तक पहुँचेगी।
      • उदाहरण: कश्मीरी पंडितों का विस्थापन।
      • विश्लेषण: प्रवासन और शरणार्थी संकट वैश्विक तनाव बढ़ाते हैं।
    4. स्वास्थ्य महामारियाँ:
      • उदाहरण: HIV/AIDS, COVID-19।
      • विश्लेषण: दवाओं की लागत और वैश्विक सहयोग की कमी बड़ी चुनौतियाँ।
    5. पर्यावरणीय खतरे:
      • उदाहरण: ग्लोबल वॉर्मिंग से बांग्लादेश और मालदीव को खतरा।
      • विश्लेषण: जलवायु परिवर्तन वैश्विक सहयोग के बिना नियंत्रित नहीं हो सकता।
  • मानव सुरक्षा के दृष्टिकोण:
    • संकीर्ण: हिंसा और युद्ध से सुरक्षा।
    • व्यापक: भूख, बीमारी, और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा।
    • उदाहरण: कोफी अन्नान का "डर से मुक्ति" और "चाह से मुक्ति"।
  • विश्लेषण: गैर-पारंपरिक सुरक्षा मानव कल्याण को प्राथमिकता देती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमी इसे जटिल बनाती है।

7. भारत की सुरक्षा रणनीति

  • चार प्रमुख घटक:
    1. सैन्य शक्ति:
      • परमाणु परीक्षण (1974, 1998) और सैन्य आधुनिकीकरण।
      • उदाहरण: राफेल विमान और अग्नि मिसाइलें।
    2. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
      • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), क्योटो प्रोटोकॉल, और UN शांति अभियान।
    3. आंतरिक सुरक्षा:
      • अलगाववादी आंदोलनों (कश्मीर, नक्सलवाद) से निपटना।
      • लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से समावेशिता।
    4. आर्थिक विकास:
      • गरीबी उन्मूलन और सामाजिक समानता के लिए नीतियाँ।
      • उदाहरण: मनरेगा और शिक्षा नीतियाँ।
  • सहकारी सुरक्षा:
    • आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और महामारियों से निपटने के लिए वैश्विक संगठनों (UN, WHO) के साथ सहयोग।
    • उदाहरण: भारत का COVAX में योगदान।
  • विश्लेषण: भारत की रणनीति पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा को संतुलित करती है, लेकिन आर्थिक असमानता और क्षेत्रीय तनाव चुनौतियाँ बने हुए हैं।

8. निष्कर्ष

  • पारंपरिक सुरक्षा: सैन्य शक्ति और बाहरी खतरों पर केंद्रित, लेकिन सहयोग (निरस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण, CBMs) भी शामिल।
  • गैर-पारंपरिक सुरक्षा: मानव और वैश्विक सुरक्षा पर जोर, जिसमें आतंकवाद, गरीबी, महामारियाँ, और पर्यावरणीय खतरे शामिल।
  • भारत का दृष्टिकोण: सैन्य शक्ति, आंतरिक स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और आर्थिक विकास का संतुलन।
  • महत्व: सुरक्षा केवल सैन्य नहीं, बल्कि मानव कल्याण और वैश्विक सहयोग से जुड़ी है। भविष्य में सहकारी सुरक्षा और वैश्विक नीतियाँ महत्वपूर्ण रहेंगी।

अतिरिक्त नोट्स और सुझाव

  • महत्वपूर्ण तथ्य और आँकड़े:
    • गृहयुद्धों में 1946-1991 के बीच 12 गुना वृद्धि।
    • विश्व जनसंख्या 2050 तक 10 अरब तक पहुँचेगी।
    • BWC और CWC में क्रमशः 155 और 181 देश शामिल।
  • परीक्षा के लिए टिप्स:
    • मुख्य बिंदु याद करें: पारंपरिक बनाम गैर-पारंपरिक, भारत की रणनीति, और सहकारी सुरक्षा।
    • उदाहरणों का उपयोग: वास्तविक घटनाएँ (9/11, भारत-पाक युद्ध, COVID-19) शामिल करें।
    • संरचना: परिभाषा → विशेषताएँ → नीतियाँ → विश्लेषण → निष्कर्ष।
  • अध्ययन संसाधन:
    • संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट (un.org) पर सुरक्षा और मानवाधिकार नीतियाँ।
    • भारत की विदेश नीति पर MEA (mea.gov.in) के दस्तावेज़।
    • जलवायु परिवर्तन के लिए IPCC रिपोर्ट्स।

इन नोट्स को तालिकाओं, चार्ट्स, या माइंड मैप्स के साथ और समृद्ध किया जा सकता है।


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