राज्य के नीति निदेशक तत्व: कल्याणकारी राज्य का मार्गदर्शक दर्शन प्रस्तावना: संविधान की आत्मा का जीवंत हिस्सा भारतीय संविधान का भाग 4, जो अनुच्छेद 36 से 51 तक फैला है, 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' (Directive Principles of State Policy – DPSPs) का खजाना है। ये तत्व भारत को एक ऐसे कल्याणकारी राज्य की ओर ले जाने का सपना दिखाते हैं, जहाँ न केवल राजनीतिक आज़ादी हो, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हर नागरिक तक पहुँचे। ये तत्व भले ही अदालतों में लागू करवाने योग्य न हों, लेकिन ये संविधान की उस चेतना को दर्शाते हैं जो भारत को समता, न्याय और बंधुत्व का देश बनाने की प्रेरणा देती है। यह संपादकीय लेख भाग 4 के महत्व, इसके ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भ, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों को सरल, रुचिकर और गहन तरीके से प्रस्तुत करता है। आइए, इस यात्रा में शामिल हों और समझें कि कैसे ये तत्व आज भी भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्वतंत्र भारत का नीतिगत सपना जब भारत ने 1947 में आज़ादी हासिल की, तब संविधान निर्माताओं के सामने एक सवाल था: स्वतंत्र भारत कैसा होगा? क्या वह केवल औपनिवे...
भारत और मालदीव के बीच हाल ही में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के निर्णय ने दोनों देशों के बीच सामरिक और रणनीतिक संबंधों को नई मजबूती दी है। यह कदम न केवल हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका को और प्रबल करेगा। भारत-मालदीव के रिश्तों की पृष्ठभूमि मालदीव, हिंद महासागर में स्थित एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप राष्ट्र है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों का एक प्रमुख हिस्सा बनाती है। भारत और मालदीव के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा, हमेशा एक प्रमुख बिंदु रहा है। भारत ने समय-समय पर मालदीव को सुरक्षा सहयोग, मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन में मदद की है। 1988 में ऑपरेशन कैक्टस के तहत भारत ने मालदीव में तख्तापलट की कोशिश को विफल करने में सहायता की थी। इसके बाद से, दोनों देशों के संबंध और मजबूत होते गए हैं। समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी की आवश्यकता 1. चीन की बढ़ती गतिविधियां: हिंद महासागर क्षेत्र म...