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Class 9 – History Chapter 1: The French Revolution

📘 Chapter 1: The French Revolution – Summary 🔰 Introduction: The French Revolution began in 1789 and is one of the most significant events in world history. It marked the end of monarchy in France and led to the rise of democracy and modern political ideas such as liberty, equality, and fraternity . 🏰 France Before the Revolution: Absolute Monarchy: King Louis XVI ruled France with complete power. He believed in the Divine Right of Kings. Social Structure (Three Estates): First Estate: Clergy – privileged and exempt from taxes. Second Estate: Nobility – also exempt from taxes and held top positions. Third Estate: Common people (peasants, workers, merchants) – paid all taxes and had no political rights. Economic Crisis: France was in heavy debt due to wars (especially helping the American Revolution). Poor harvests and rising food prices led to famine and anger among the poor. Tax burden was unfairly placed on the Third Estate. Ideas of Enlightenmen...

12th Political Science Notes Chapter-6 : The Crisis Of Democratic Order

 आपातकाल (1975-77) – भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा संकट


यह नोट्स 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के "लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट" अध्याय का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इसमें 1975-77 के आपातकाल की पृष्ठभूमि, कारण, प्रभाव और इसके परिणामों को विस्तार से समझाया गया है।

मुख्य बिंदु:

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य (1971-75): इंदिरा गांधी की सरकार को बढ़ते असंतोष और विपक्षी आंदोलनों का सामना करना पड़ा।

आर्थिक संकट: बांग्लादेश युद्ध, 1973 का तेल संकट, महंगाई और बेरोजगारी।

न्यायिक फैसले और विरोध: इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय और जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण क्रांति आंदोलन।

आपातकाल की घोषणा: अनुच्छेद 352 के तहत मौलिक अधिकारों का निलंबन, प्रेस सेंसरशिप और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी।

संवैधानिक परिवर्तन: 42वां और 44वां संविधान संशोधन, आपातकाल के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुधार।

राजनीतिक परिणाम: 1977 का आम चुनाव, जनता पार्टी की जीत और कांग्रेस की ऐतिहासिक हार।


यह विषय भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने भविष्य में संवैधानिक सुरक्षा उपायों को मजबूत किया।




आपातकाल की पृष्ठभूमि और कारण


राजनीतिक परिप्रेक्ष्य (1971-75)

➯1971 के चुनावों में भारी जीत के बावजूद इंदिरा गांधी की सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

शासन में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमताओं को लेकर असंतोष बढ़ रहा था।

जयप्रकाश नारायण (जेपी आंदोलन) के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।


आर्थिक समस्याएँ

1971 के बांग्लादेश युद्ध के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा।

1973 के तेल संकट के कारण महंगाई बढ़ी और आर्थिक अस्थिरता आई।

बेरोजगारी बढ़ी और औद्योगिक विकास की गति धीमी हो गई।

खाद्य संकट और ग्रामीण आर्थिक समस्याओं ने जनता को आंदोलनों के लिए प्रेरित किया।


न्यायिक चुनौतियाँ और राजनीतिक विरोध

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला (12 जून 1975):

इंदिरा गांधी को चुनावी अनियमितताओं का दोषी पाया गया और उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत दी, लेकिन संसद में मतदान करने से रोका।

विपक्षी दलों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए और इंदिरा गांधी से इस्तीफे की माँग की।


छात्र एवं श्रमिक आंदोलन (1974-75)

जेपी आंदोलन: जयप्रकाश नारायण ने "सम्पूर्ण क्रांति" की माँग करते हुए सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध शुरू किया।

बिहार और गुजरात आंदोलन: राज्य सरकारों को भंग करने की माँग को लेकर बड़े प्रदर्शन हुए।

रेलवे हड़ताल (मई 1974): जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में यह भारत की सबसे बड़ी हड़तालों में से एक थी, जिससे देशभर में परिवहन ठप हो गया।


आपातकाल की घोषणा और उसका क्रियान्वयन

आपातकाल की घोषणा (25 जून 1975)

अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक अशांति का हवाला देते हुए इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल लगाने की सिफारिश की। राष्ट्रपति ने उसी रात इसे मंजूरी दे दी।

मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई, और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी:

जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस समेत हजारों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।


कानूनी और संवैधानिक परिवर्तन

42वां संविधान संशोधन (1976):

सरकार की कार्यपालिका शक्तियों को बढ़ाया गया।

न्यायपालिका की समीक्षा शक्तियों को सीमित कर दिया गया।

संसद का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया।

मीडिया सेंसरशिप और असहमति का दमन

प्रेस सेंसरशिप:

समाचार पत्रों को सरकारी स्वीकृति के बिना कुछ भी प्रकाशित करने से रोक दिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस और द स्टेट्समैन ने विरोध में खाली पृष्ठ प्रकाशित किए।

विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध:

सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की सभा, हड़ताल, या आंदोलन को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया।


जबर्दस्ती नसबंदी और झुग्गी-बस्ती उन्मूलन

संजय गांधी का जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम:

जबरन नसबंदी अभियान चलाया गया, जिसमें 60 लाख से अधिक नसबंदियाँ कराई गईं।

ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस जबरन लोगों को पकड़कर ऑपरेशन करवा रही थी।

झुग्गी-बस्ती हटाना:

दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके में हजारों झुग्गियाँ तोड़ी गईं।

गरीबों को बलपूर्वक हटाया गया, जिससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी।


 प्रभाव और परिणाम

राजनीतिक परिणाम

कांग्रेस की गिरावट:

जनता में असंतोष बढ़ा और कांग्रेस की विश्वसनीयता को नुकसान हुआ।

विपक्ष की एकता:

सभी प्रमुख विपक्षी दल एकजुट होकर जनता पार्टी के रूप में संगठित हुए।


1977 का आम चुनाव और कांग्रेस की हार

जनवरी 1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल हटाकर चुनाव कराने की घोषणा की।

जनता पार्टी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।

कांग्रेस पार्टी पहली बार सत्ता से बाहर हुई और इंदिरा गांधी को रायबरेली सीट से हार का सामना करना पड़ा।


आपातकाल के बाद संवैधानिक सुधार

44वां संविधान संशोधन (1978):

अनुच्छेद 352 के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए गए।

नागरिक अधिकारों को फिर से बहाल किया गया।

प्रधानमंत्री को आपातकाल घोषित करने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक कर दी गई।


जनता और ऐतिहासिक दृष्टिकोण

आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सबक साबित हुआ।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की रक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ी और सरकार की निरंकुशता के खिलाफ सतर्कता आई।


निष्कर्ष

आपातकाल (1975-77) भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे विवादास्पद काल था।

इसने यह दिखाया कि संविधान में सरकार की शक्ति को नियंत्रित करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की जरूरत है।

यह घटना भारतीय राजनीति और कानून व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसने भविष्य में लोकतंत्र को अधिक मजबूत किया।


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