मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात फिर शुरू हो गई है। जब भी किसी पार्टी को चुनाव में जीत मिलती है तो वह ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात भूल जाता है लेकिन यदि चुनाव में पराजय मिलती है, तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात करके अपनी हार पर पर्दा डालने लगते हैं।अरविन्द केजरीवाल जैसे नेता भी ईवीएम पर सवाल उठा चुके हैं, जिन्हें ईवीएम से ही सत्ता मिली है, तो आम लोगों के मन में ऐसे सवाल उठना जायज है। आइये जानते हैं कि किस कारण से आज के समय में बैलट पेपर के माध्यम से मतदान अव्यवहारिक हो गया है तथा ईवीएम के बिना चुनाव कराना अनुचित प्रतीत होता है। साथ ही यह भी जानते कि क्या ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है?
भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। यदि बैलेट पेपर से चुनाव होंगे तो मतगणना में बहुत अधिक समय लगेगा। दूसरी बात भारत में अभी भी पर्याप्त मतदाता या तो साक्षर नहीं हैं और साक्षर हैं तो शिक्षित नहीं हैं, जिसके कारण ढेर सारे मत बेकार हो जाते हैं। पंचायत चुनाव का मतदान अभी भी बैलेट पेपर से ही होता है। मतगणना के समय मैंने स्वयं देखा है कि ढेर सारे मत बेकार हो जाते हैं। कई मतदाता बैलेट पेपर को मोड़ने में गलती कर देते हैं जिससे दो प्रत्याशियों के एरिया में स्याही लग जाती है। कभी कभी मतदाता दो या अधिक प्रत्याशियों को मत दे देते हैं और कुछ मतदाता दो प्रत्याशियों के बॉर्डर लाइन एरिया में सील लगाते हैं जिससे इस बात का निर्णय नहीं हो पाता है कि वास्तव में मत किसे दिया गया है।
कुछ लोगों का तर्क है कि जापान जैसा उच्च तकनीकी से युक्त देश ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान को श्रेष्ठ मानता है और अपने यहाँ मतदान बैलेट पेपर से ही करवाता है। फिर हम क्यों ईवीएम के पीछे भाग रहे हैं।इसका उत्तर यह है कि जापान की जनसंख्या कम है और वहां के लोग शिक्षित हैं, अतः त्रुटि बहुत कम करते हैं। अतः न तो मतगणना में बहुत अधिक समय लगता है और न ही मत बेकार होते हैं।
रही बात ईवीएम से जुड़ी हुई कुछ प्रॉब्लम्स की तो उन प्रॉब्लम्स के कारण बैलेट पेपर की ओर रोल बैक होते हैं तो यह वैसा ही होगा जैसे मोटर कार पंचर हो जाती है इसलिए बैलगाड़ी से चलने की सलाह देना। अर्थात ईवीएम की कमियों को दूर करने की बात करना बुद्धिमानी होगी न की बैलेट पेपर की ओर दुबारा लौटा जाए।
कुछ लोग ईवीएम के हैक होने, छेड़छाड़ होने की बात करते हैं ये सभी बातें निराधार हैं। इनमें नेट कनेक्टिविटी नहीं होती है अतः हैक नहीं हो सकती। छेड़छाड़ होने की बात की जाए तो पीठासीन अधिकारी पार्टी अभिकर्ताओं के सम्मुख तीन तीन प्रकार की सील पर सभी के हस्ताक्षर के साथ ईवीएम को सील करता है। यदि छेड़छाड़ किया जाएगा तो सील टूट जाएगी। नई सील लगाने पर उनके क्रमांक परिवर्तित हो जाएंगे और हस्ताक्षर भी। प्रत्येक बूथ पर पार्टी अभिकर्ताओं को चुनाव समाप्ति के जस्ट बाद प्रमाण के तौर पर मतपत्र लेखा दिया जाता है जिसमें सीलों का क्रमांक दर्ज रहता है, हस्ताक्षर का प्रारूप रहता है। मतगणना के समय जब ईवीएम को खोला जाता तो पार्टी अभिकर्ता उपस्थित रहते हैं, यदि ईवीएम से छेड़छाड़ हुआ है तो तुरंत शिकायत करनी चाहिए। चुनाव हारने के बाद ईवीएम पर सवाल उठाकर अपनी हार पर पर्दा डालते है और कुछ नहीं। कुछ प्रबुद्ध लोग कहते हैं कि ईवीएम का सॉफ्टवेयर ही इस प्रकार बनाया जा सकता है कि आप चाहे जिस को वोट दें लेकिन वह एक ही उम्मीदवार के पक्ष में जाएगा। ऐसा संभव है लेकिन VVPAT के आजाने से ये भी संभावना समाप्त हो गई हैं हालांकि पहले भी ऐसा होता नहीं था। मॉक पोल करके सभी अभिकर्ताओं को दिखा दिया जाता है कि ईवीएम का सॉफ्टवेयर सही काम कर रहा है।इन सब के बाद भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ का राग अलापना जनादेश का अपमान करना है।
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