Prime Minister of India: Powers, Functions and Constitutional Role – A Comprehensive Essay (NCERT Class 11 Political Science)
📝 निबंधात्मक लेख: भारत के प्रधानमंत्री – संवैधानिक पद और राजनीतिक नेतृत्व
प्रस्तावना
भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री का पद केवल एक संवैधानिक पद नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की आत्मा है। संसदीय लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कार्यपालिका कितनी प्रभावी और उत्तरदायी है। प्रधानमंत्री न केवल कार्यपालिका का मुखिया है, बल्कि सरकार के पूरे तंत्र को दिशा देता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 और 75 प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद की भूमिका को स्पष्ट करते हैं। इस निबंध में प्रधानमंत्री की संवैधानिक स्थिति, नियुक्ति, शक्तियाँ, उत्तरदायित्व, और समकालीन महत्व का विश्लेषण किया जाएगा।
1. संसदीय लोकतंत्र और प्रधानमंत्री की भूमिका
भारत ने ब्रिटिश शासन की विरासत से संसदीय लोकतंत्र अपनाया। इस व्यवस्था में राष्ट्रपति औपचारिक प्रमुख है जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका है। प्रधानमंत्री “प्रधान सेवक” के रूप में सरकार की नीतियों और निर्णयों का नेतृत्व करता है। वह मंत्रिपरिषद का नेता, संसद में सरकार का प्रतिनिधि, और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है।
2. संवैधानिक प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह लेनी होगी। प्रधानमंत्री इस मंत्रिपरिषद का मुखिया है। अनुच्छेद 75(1) राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद के गठन का अधिकार देता है, परंतु यह प्रधानमंत्री की सलाह पर आधारित होता है। अनुच्छेद 75(3) मंत्रिपरिषद को लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी बनाता है। इन प्रावधानों से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री का पद संसदीय उत्तरदायित्व की धुरी है।
3. प्रधानमंत्री की नियुक्ति
प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। सामान्य परिस्थितियों में लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। यदि स्पष्ट बहुमत न हो तो राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता या किसी ऐसे नेता को आमंत्रित कर सकता है, जो बहुमत सिद्ध करने में सक्षम हो। प्रधानमंत्री को संसद का सदस्य होना चाहिए; यदि नियुक्ति के समय नहीं है तो छह माह के भीतर बनना अनिवार्य है।
4. कार्यकाल और पद पर बने रहने की शर्तें
प्रधानमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है। वह तब तक पद पर बना रहता है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर प्रधानमंत्री और पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है। इस प्रकार प्रधानमंत्री का कार्यकाल संसदीय बहुमत पर निर्भर करता है।
5. प्रधानमंत्री की शक्तियाँ और कार्य
(क) मंत्रिपरिषद से संबंधित शक्तियाँ
- राष्ट्रपति को मंत्रियों की नियुक्ति और बर्खास्तगी की सलाह देना।
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना।
- विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों का समन्वय।
- मंत्रिपरिषद के लिए कार्यसूची तय करना।
(ख) विधायी शक्तियाँ
- संसद में सरकार का नेता होना।
- लोकसभा में बहुमत बनाए रखना।
- नीतियाँ, विधेयक और बजट पेश करना।
- संसद को बुलाने और स्थगित करने की सलाह राष्ट्रपति को देना।
(ग) प्रशासनिक शक्तियाँ
- केंद्रीय प्रशासन पर नियंत्रण।
- मंत्रालयों के बीच विवाद निपटाना।
- नीतियों के क्रियान्वयन की निगरानी।
(घ) विदेश नीति व सुरक्षा
- विदेश यात्राएँ, द्विपक्षीय वार्ता।
- रक्षा, आंतरिक सुरक्षा व राष्ट्रीय आपात स्थितियों में नेतृत्व।
(ङ) राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी
- राष्ट्रपति को निर्णयों की जानकारी देना।
- राष्ट्रपति को नीतियों व प्रस्तावों पर सलाह देना।
6. सामूहिक उत्तरदायित्व
अनुच्छेद 75(3) मंत्रिपरिषद को लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी बनाता है। प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करता है कि सभी मंत्री सामूहिक निर्णयों के प्रति प्रतिबद्ध रहें। यदि किसी मुद्दे पर लोकसभा अविश्वास प्रकट करती है तो पूरी मंत्रिपरिषद को पद छोड़ना पड़ता है। इस सिद्धांत से प्रधानमंत्री की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
7. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के संबंध
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार है। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कोई कार्य नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सभी निर्णयों की जानकारी देता है। औपचारिक रूप से राष्ट्रपति प्रधान होता है, पर वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है। इस प्रकार प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच संबंध संवैधानिक मर्यादाओं और परंपराओं पर आधारित होते हैं।
8. प्रधानमंत्री की राजनीतिक नेतृत्व क्षमता
प्रधानमंत्री केवल संवैधानिक प्रमुख नहीं है, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व का प्रतीक भी है। वह पार्टी संगठन, गठबंधन प्रबंधन, और चुनावी रणनीति में केंद्रीय भूमिका निभाता है। मजबूत प्रधानमंत्री नीति निर्माण में निर्णायक होता है, जबकि कमजोर प्रधानमंत्री गठबंधन दबावों के कारण सीमित रहता है।
9. प्रधानमंत्री की भूमिका: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
प्रधानमंत्री देश के अंदर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को दिशा देता है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की विदेश नीति, वैश्विक मंचों पर प्रतिनिधित्व और रक्षा सहयोग के मुद्दों पर नेतृत्व करता है। उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, G20, ब्रिक्स आदि में प्रधानमंत्री की उपस्थिति भारत की छवि को सशक्त करती है।
10. प्रधानमंत्री के पद से हटने की परिस्थितियाँ
- लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव।
- पार्टी नेतृत्व खोना।
- स्वयं इस्तीफा देना।
- प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर पूरी मंत्रिपरिषद स्वतः समाप्त हो जाती है।
11. प्रधानमंत्री की शक्तियों पर नियंत्रण
यद्यपि प्रधानमंत्री शक्तिशाली है, पर उसकी शक्तियों पर कई संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक नियंत्रण हैं –
- लोकसभा का विश्वास।
- न्यायपालिका द्वारा संवैधानिक व्याख्या।
- मीडिया और जनमत।
- विपक्ष और संसदीय समितियाँ।
- पार्टी संगठन और गठबंधन दबाव।
12. प्रधानमंत्री बनाम राष्ट्रपति
राष्ट्रपति औपचारिक व संवैधानिक प्रमुख है जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका है। राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रतीक है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया है। यह विभाजन संसदीय प्रणाली की आत्मा है।
13. समकालीन संदर्भ में प्रधानमंत्री की भूमिका
आज के वैश्वीकरण, डिजिटल गवर्नेंस और बहुस्तरीय लोकतंत्र के युग में प्रधानमंत्री की भूमिका और भी व्यापक हो गई है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल इंडिया, सामाजिक न्याय, और वैश्विक साझेदारी जैसे मुद्दों पर नीति निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाता है।
14. आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
- प्रधानमंत्री की शक्तियों का केंद्रीकरण: कई बार आलोचना होती है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की शक्ति अत्यधिक हो गई है।
- गठबंधन युग की सीमाएँ: जब बहुमत स्पष्ट नहीं होता, प्रधानमंत्री को नीतिगत समझौते करने पड़ते हैं।
- जनमत और मीडिया का दबाव: त्वरित निर्णयों में जोखिम।
- संवैधानिक संतुलन: राष्ट्रपति, न्यायपालिका और राज्यों के साथ समन्वय की आवश्यकता।
15. UPSC/शैक्षिक दृष्टिकोण
UPSC, राज्य सेवा परीक्षाओं और विद्यालय परीक्षाओं में प्रधानमंत्री से जुड़े प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं – जैसे प्रधानमंत्री की संवैधानिक स्थिति, नियुक्ति की प्रक्रिया, शक्तियाँ, सामूहिक उत्तरदायित्व, राष्ट्रपति से संबंध, और प्रधानमंत्री की समकालीन भूमिका।
16. निष्कर्ष
प्रधानमंत्री भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। वह कार्यपालिका का नेता, संसद में सरकार का प्रतिनिधि, और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। उसकी भूमिका केवल शासन तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, विकास और अंतर्राष्ट्रीय पहचान तक फैली है। संवैधानिक मर्यादाओं, राजनीतिक नैतिकता और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व के साथ कार्य करने पर ही प्रधानमंत्री का पद वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा बना रह सकता है।
17. मुख्य बिंदुओं का संक्षेप
- प्रधानमंत्री = वास्तविक कार्यपालिका।
- अनु. 74 – राष्ट्रपति को सलाह।
- अनु. 75(3) – सामूहिक उत्तरदायित्व।
- नियुक्ति – राष्ट्रपति करता है, बहुमत दल के नेता को।
- कार्यकाल – लोकसभा के विश्वास पर निर्भर।
- शक्तियाँ – मंत्रिपरिषद नेतृत्व, संसद, प्रशासन, विदेश नीति।
- नियंत्रण – लोकसभा, न्यायपालिका, मीडिया, विपक्ष।
Quick Revision
📚 शार्ट नोट्स : प्रधानमंत्री (Prime Minister)
1. प्रधानमंत्री की संवैधानिक स्थिति
- प्रधानमंत्री भारत सरकार का वास्तविक प्रमुख होता है।
- अनुच्छेद 74(1): राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सहायता व सलाह देनी होती है। प्रधानमंत्री ही इस मंत्रिपरिषद का प्रमुख है।
- प्रधानमंत्री संसदीय शासन प्रणाली में “Council of Ministers” का नेता होता है।
2. नियुक्ति
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है।
- सामान्यतः लोकसभा में बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है।
- प्रधानमंत्री को लोकसभा का सदस्य होना अनिवार्य नहीं, लेकिन 6 माह के भीतर किसी सदन का सदस्य बनना होता है।
3. कार्यकाल
- प्रधानमंत्री तब तक पद पर रहता है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है।
- विश्वास खोने पर प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
4. प्रधानमंत्री के मुख्य कार्य व शक्तियाँ
- मंत्रिपरिषद का गठन – राष्ट्रपति को मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी के लिए सलाह देता है।
- नीति निर्माण व समन्वय – मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है व कार्यों का समन्वय करता है।
- कैबिनेट का नेतृत्व – नीति निर्धारण और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी।
- संसद में नेतृत्व – सरकार की नीतियाँ संसद में प्रस्तुत करना, प्रश्नों का उत्तर देना, बहुमत बनाए रखना।
- प्रशासनिक नियंत्रण – विभिन्न विभागों व मंत्रालयों के कार्यों की समीक्षा।
- राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी – राष्ट्रपति को सभी निर्णयों की जानकारी देना।
- विदेश नीति व राष्ट्रीय सुरक्षा – विदेश यात्राएँ, द्विपक्षीय वार्ता, रक्षा व सुरक्षा से जुड़े निर्णय।
5. प्रधानमंत्री के प्रकार्यात्मक महत्व
- वास्तविक कार्यपालिका प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद है।
- राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख मात्र है।
- प्रधानमंत्री की स्थिति “प्रधान सेवक” व “सरकार का मुखिया” दोनों के रूप में।
6. सामूहिक उत्तरदायित्व
- अनुच्छेद 75(3): मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है।
- प्रधानमंत्री इस सामूहिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करता है।
7. पद से हटने की परिस्थितियाँ
- लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होना।
- पार्टी नेतृत्व खोना।
- स्वयं इस्तीफा देना।
- प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर पूरी मंत्रिपरिषद स्वतः पद छोड़ देती है।
📝 महत्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर
प्र.1. प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर: राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल/गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। यदि स्पष्ट बहुमत न हो तो राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को बुलाकर बहुमत सिद्ध करने का अवसर देता है। प्रधानमंत्री को 6 माह के भीतर संसद का सदस्य बनना आवश्यक है।
प्र.2. प्रधानमंत्री की तीन प्रमुख शक्तियाँ बताइए।
उत्तर:
- मंत्रियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी पर राष्ट्रपति को सलाह देना।
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता व नीति समन्वय।
- राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संपर्क स्थापित करना।
प्र.3. प्रधानमंत्री की संसद में भूमिका क्या है?
उत्तर: प्रधानमंत्री संसद में सरकार का नेता होता है। वह सरकार की नीतियाँ प्रस्तुत करता है, बजट व विधेयकों को आगे बढ़ाता है, प्रश्नकाल में उत्तर देता है तथा बहुमत बनाए रखता है।
प्र.4. सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अनुच्छेद 75(3) के अनुसार मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। यदि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है तो पूरी मंत्रिपरिषद, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल है, को इस्तीफा देना पड़ता है।
प्र.5. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच संबंधों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर: प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार है। राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति, बर्खास्तगी, संसद भंग करने, अध्यादेश जारी करने आदि कार्य प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है। राष्ट्रपति को सभी निर्णयों की जानकारी देना प्रधानमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है।
प्र.6. प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर मंत्रिपरिषद की स्थिति क्या होती है?
उत्तर: प्रधानमंत्री के पद छोड़ने पर पूरी मंत्रिपरिषद स्वतः पद छोड़ देती है। यानी प्रधानमंत्री के इस्तीफे से मंत्रिपरिषद का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
प्र.7. प्रधानमंत्री भारतीय राजनीति में क्यों ‘प्रधान’ है?
उत्तर: प्रधानमंत्री नीति निर्माण, मंत्रिपरिषद नेतृत्व, संसद में बहुमत बनाए रखने, राष्ट्रपति को सलाह देने, और प्रशासन व विदेश नीति पर नियंत्रण रखने के कारण भारतीय राजनीति में ‘प्रधान’ है। वह सरकार का वास्तविक मुखिया है।
🎯 रिवीजन के लिए शॉर्ट पॉइंट्स
- अनु. 74 – राष्ट्रपति को सलाह।
- अनु. 75(3) – लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व।
- मंत्रिपरिषद = सामूहिक निर्णय।
- प्रधानमंत्री = “प्रथम सेवक” + “संसद में नेता”।
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