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Part III of the Indian Constitution: The Living Charter of Rights and Liberties

संविधान का भाग 3: भारतीय लोकतंत्र का धड़कता दिल भूमिका: आज़ादी की साँस, अधिकारों की आवाज़ जब हम भारतीय संविधान को एक “जीवित दस्तावेज़” कहते हैं, तो यह कोई खोखला विशेषण नहीं। यह जीवंतता संविधान के हर पन्ने में बसी है, लेकिन अगर इसका असली दिल ढूंढना हो, तो वह है भाग 3 — मूल अधिकार। ये अधिकार केवल कानूनी धाराएँ नहीं, बल्कि उस सपने का ठोस रूप हैं, जो आज़ाद भारत ने देखा था: एक ऐसा देश, जहाँ हर नागरिक को सम्मान, समानता, और स्वतंत्रता मिले। भाग 3 वह मशाल है, जो औपनिवेशिक दमन, सामाजिक भेदभाव, और अन्याय के अंधेरे में रोशनी बिखेरती है। आज, जब Pegasus जासूसी, इंटरनेट बंदी, या अभिव्यक्ति पर अंकुश जैसे मुद्दे हमें झकझोर रहे हैं, यह समय है कि हम भाग 3 की आत्मा को फिर से समझें — इसका इतिहास, इसकी ताकत, इसकी चुनौतियाँ, और इसकी प्रासंगिकता। इतिहास: संघर्षों से जन्मा अधिकारों का मणिकांचन मूल अधिकार कोई आकस्मिक विचार नहीं थे। ये उस लंबे संघर्ष की देन हैं, जो भारत ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ा।  1928 की नेहरू रिपोर्ट ने नागरिक स्वतंत्रताओं की नींव रखी।   1931 का कराची प्रस्ताव सामाजिक-आर्थ...

एग्जाम के दिनों में तनाव प्रबंधन कैसे करें?

नजदीक आते ही विद्यार्थी तनावग्रस्त हो जाते हैं। कभी-कभी यह तनाव इतना हावी हो जाता है कि विद्यार्थी घर से भागने, डिप्रेशन में जाने या आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। विद्यार्थियों के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है तनाव प्रबंधन।

How to manage stress during exam days?


मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि एक सीमा तक तनाव लाभप्रद हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम एग्जाम को लेकर चिंतन नहीं करेंगे, तो अपनी कमियों को कैसे दूर करेंगे? लेकिन जब यह चिंतन चिंता में बदल जाए और हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर प्रभाव डालने लगे, तो यह घातक हो सकता है।

आइए जानते हैं कि चिंता को चिंतन में बदलकर हम अपने तनाव को कैसे कम कर सकते हैं।

चिंता को यूनिट में समझना

मान लीजिए, आपके एग्जाम में 25 दिन बचे हैं और परीक्षा पास करने की आपकी चिंता 100 यूनिट है। तो एक दिन की चिंता = 100/25 = 4 यूनिट होगी। इस स्तर पर तनाव कम होगा और दिनचर्या सामान्य रह सकती है।

अब यदि आपने पढ़ाई योजना-बद्ध तरीके से शुरू नहीं की और 5 दिन यूं ही निकाल दिए, तो अब केवल 20 दिन बचे हैं। ऐसे में आपकी चिंता का स्तर 100/20 = 5 यूनिट हो जाएगा। इसी प्रकार, यदि 15 दिन तक भी योजना नहीं बनाई, तो एग्जाम के केवल 10 दिन बचेंगे और चिंता का स्तर 100/10 = 10 यूनिट हो जाएगा। इस तरह धीरे-धीरे तनाव बढ़ता जाएगा, और आप इसे नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाएंगे।

फिर क्या करना चाहिए?

चिंता को तुरंत चिंतन में बदलना होगा। अपने सिलेबस को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करें और हर दिन के लिए एक व्यावहारिक लक्ष्य निर्धारित करें। प्रत्येक दिन का लक्ष्य उसी दिन पूरा करने की कोशिश करें।

यदि आप प्रतिदिन के हिस्से का सिलेबस पूरा करते रहेंगे, तो तनाव बढ़ना रुक जाएगा। तीन-चार दिन में ही यह प्रक्रिया आपके आत्मविश्वास को बढ़ा देगी। आपको लगेगा कि एग्जाम शुरू होने तक पूरा सिलेबस आपकी मुट्ठी में होगा। यह आत्मविश्वास आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करेगा, जो आपको और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी।

कमजोर विद्यार्थियों के लिए सुझाव

कमजोर विद्यार्थियों को सलाह है कि वे पहले इतना तैयारी करें कि फेल होने का डर खत्म हो जाए। इसके लिए आप पहले 30-35 अंक प्राप्त करने की रणनीति बनाएं।

एक या दो अंक के प्रश्नों पर फोकस करें।

हर प्रश्न के उत्तर में केवल दो महत्वपूर्ण बिंदु तैयार करें।

जो अध्याय सरल लगे, पहले उसे तैयार करें।

जब आप सुरक्षित स्थिति में आ जाएंगे, तब अधिक अंक प्राप्त करने के लिए तैयारी बढ़ाएं। इससे आप तनाव में नहीं आएंगे।

अंतिम सलाह

अंत में, यह समझना जरूरी है कि "स्कूल में सफलता जीवन में  सफलता की गारंटी नहीं है, और स्कूल में असफलता जीवन में असफलता की गारंटी नहीं है।" इसलिए स्कूल की असफलता को जीवन की असफलता न मानें। कोई गलत फैसला लेने से बचें।

अपनी बातें माता-पिता, दोस्तों या किसी विश्वासपात्र से जरूर साझा करें। आधे घंटे का समय प्रेरणादायक स्पीकर को सुनने या पढ़ने में लगाएं।

आपके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।

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