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Directive Principles of State Policy: Guiding India's Vision for a Welfare State

 राज्य के नीति निदेशक तत्व: कल्याणकारी राज्य का मार्गदर्शक दर्शन प्रस्तावना: संविधान की आत्मा का जीवंत हिस्सा भारतीय संविधान का भाग 4, जो अनुच्छेद 36 से 51 तक फैला है, 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' (Directive Principles of State Policy – DPSPs) का खजाना है। ये तत्व भारत को एक ऐसे कल्याणकारी राज्य की ओर ले जाने का सपना दिखाते हैं, जहाँ न केवल राजनीतिक आज़ादी हो, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हर नागरिक तक पहुँचे। ये तत्व भले ही अदालतों में लागू करवाने योग्य न हों, लेकिन ये संविधान की उस चेतना को दर्शाते हैं जो भारत को समता, न्याय और बंधुत्व का देश बनाने की प्रेरणा देती है।  यह संपादकीय लेख भाग 4 के महत्व, इसके ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भ, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों को सरल, रुचिकर और गहन तरीके से प्रस्तुत करता है। आइए, इस यात्रा में शामिल हों और समझें कि कैसे ये तत्व आज भी भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्वतंत्र भारत का नीतिगत सपना जब भारत ने 1947 में आज़ादी हासिल की, तब संविधान निर्माताओं के सामने एक सवाल था: स्वतंत्र भारत कैसा होगा? क्या वह केवल औपनिवे...

Historic Verdict: SC Stops Governors from Playing President Card

राज्यपाल दूसरी बार अपना मन नहीं बदल सकते: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण और स्पष्ट निर्णय में यह स्थापित किया कि राज्यपाल किसी विधेयक को दूसरी बार राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किए जाने के बाद उसे राष्ट्रपति के विचारार्थ नहीं भेज सकते। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 200 की व्याख्या और राज्यपालों की शक्तियों के दायरे को परिभाषित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। मामले की पृष्ठभूमि: तमिलनाडु के राज्यपाल का विवाद न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि के उस कदम के संदर्भ में की, जिसमें उन्होंने 10 विधेयकों को पहले अस्वीकार किया और फिर विधानसभा द्वारा पुनः पारित किए जाने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया। कोर्ट ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि राज्यपाल को यह निर्णय पहली बार में ही लेना चाहिए था, न कि दूसरी बार विधेयक उनके समक्ष आने पर। पीठ ने इसे "सच्चा निर्णय नहीं" माना और राज्यपाल के आचरण पर सवाल उठाए। संविधान के अनुच्छेद 200...

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