राज्य के नीति निदेशक तत्व: कल्याणकारी राज्य का मार्गदर्शक दर्शन प्रस्तावना: संविधान की आत्मा का जीवंत हिस्सा भारतीय संविधान का भाग 4, जो अनुच्छेद 36 से 51 तक फैला है, 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' (Directive Principles of State Policy – DPSPs) का खजाना है। ये तत्व भारत को एक ऐसे कल्याणकारी राज्य की ओर ले जाने का सपना दिखाते हैं, जहाँ न केवल राजनीतिक आज़ादी हो, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हर नागरिक तक पहुँचे। ये तत्व भले ही अदालतों में लागू करवाने योग्य न हों, लेकिन ये संविधान की उस चेतना को दर्शाते हैं जो भारत को समता, न्याय और बंधुत्व का देश बनाने की प्रेरणा देती है। यह संपादकीय लेख भाग 4 के महत्व, इसके ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भ, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों को सरल, रुचिकर और गहन तरीके से प्रस्तुत करता है। आइए, इस यात्रा में शामिल हों और समझें कि कैसे ये तत्व आज भी भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्वतंत्र भारत का नीतिगत सपना जब भारत ने 1947 में आज़ादी हासिल की, तब संविधान निर्माताओं के सामने एक सवाल था: स्वतंत्र भारत कैसा होगा? क्या वह केवल औपनिवे...
1999: एक वोट से गिरी वाजपेयी सरकार और शरद पवार का 26 साल बाद खुलासा भारतीय राजनीति के इतिहास में कई घटनाएँ ऐसी हुई हैं, जिन्होंने सत्ता संतुलन को पूरी तरह से बदल दिया। इनमें से एक सबसे अहम घटना 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार का गिरना था, जो मात्र एक वोट से हार गई थी। यह घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक निर्णायक मोड़ थी, क्योंकि इसके बाद देश में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। अब, 26 साल बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने इस मामले पर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पर्दे के पीछे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण वाजपेयी सरकार गिर गई। उनके इस बयान ने 1999 की उस ऐतिहासिक घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है। 1999: वाजपेयी सरकार का अविश्वास प्रस्ताव पृष्ठभूमि: जयललिता का समर्थन वापसी 1998 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार बनी थी, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। लेकिन उनकी सरकार का पूरा अस्तित्व सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर था। अन्नाद्रमुक ...