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12th Political Science Complete Notes

  📘 Part A: Contemporary World Politics (समकालीन विश्व राजनीति) The Cold War Era (शीत युद्ध का दौर) The End of Bipolarity (द्विध्रुवीयता का अंत) US Hegemony in World Politics ( विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व ) Alternative Centres of Power ( शक्ति के वैकल्पिक केंद्र ) Contemporary South Asia ( समकालीन दक्षिण एशिया ) International Organizations ( अंतर्राष्ट्रीय संगठन ) Security in the Contemporary World ( समकालीन विश्व में सुरक्षा ) Environment and Natural Resources ( पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन ) Globalisation ( वैश्वीकरण ) 📘 Part B: Politics in India Since Independence (स्वतंत्रता के बाद भारत में राजनीति) Challenges of Nation-Building (राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ) Era of One-Party Dominance (एक-दलीय प्रभुत्व का युग) Politics of Planned Development (नियोजित विकास की राजनीति) India’s External Relations (भारत के विदेश संबंध) Challenges to and Restoration of the Congress System ( कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना ) The Crisis of Democratic...

Panchayati Raj System: Local Governance in India

 कक्षा 6 : सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन

अध्याय 4: पंचायती राज

यह लेख पंचायती राज प्रणाली का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत की संरचना, कार्य एवं उत्तरदायित्वों की विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें पंचायती राज के वित्तीय स्रोत, कार्यप्रणाली, पारदर्शिता, चुनौतियाँ और सुधार के संभावित उपायों पर भी चर्चा की गई है। साथ ही, यह लेख वास्तविक उदाहरणों, जैसे हरदास गाँव और निमोने गाँव की घटनाओं के माध्यम से ग्राम प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट करता है। यह उन छात्रों, प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों और नीति-निर्माताओं के लिए उपयोगी है जो भारत के स्थानीय शासन को गहराई से समझना चाहते हैं।

Panchayati Raj System: Local Governance in India

पंचायती राज: एक विस्तृत अध्ययन

पंचायती राज भारतीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो स्थानीय स्तर पर प्रशासन और विकास कार्यों को प्रभावी रूप से लागू करने का माध्यम प्रदान करता है। यह प्रणाली संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत स्थापित की गई थी, जिससे स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक मान्यता मिली।

1. ग्राम सभा: पंचायती राज की आधारशिला

ग्राम सभा स्थानीय प्रशासन की मूलभूत इकाई है, जिसमें पंचायत क्षेत्र के सभी वयस्क नागरिक सदस्य होते हैं। यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण है, जहाँ नागरिक सीधे प्रशासन में भाग लेते हैं और पंचायत के कार्यों की निगरानी करते हैं।

ग्राम सभा की प्रमुख विशेषताएँ:

सदस्यता: 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।

कार्य: विकास योजनाओं की समीक्षा, धन का उपयोग, सरकारी योजनाओं की निगरानी।

उत्तरदायित्व: पंचायत की गतिविधियों पर नियंत्रण रखना और भ्रष्टाचार रोकना।

ग्राम सभा की बैठकें और निर्णय प्रक्रिया:

ग्राम सभा नियमित रूप से बैठकें आयोजित करती है, जिनमें गाँव की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा होती है। बैठक में प्रस्ताव रखे जाते हैं और बहुमत से निर्णय लिए जाते हैं।

हरदास गाँव का उदाहरण:

गाँव में जल संकट गहराने से समस्या उत्पन्न हुई।

ग्राम सभा में हैंडपंप गहरे करने, कुओं की सफाई और वाटरशेड विकास जैसी योजनाओं पर विचार किया गया।

ग्राम पंचायत को इस समस्या का समाधान निकालने का निर्देश दिया गया।

2. ग्राम पंचायत: स्थानीय प्रशासन की मुख्य इकाई

ग्राम पंचायत गाँव स्तर पर प्रशासन का प्रमुख अंग है, जो ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित होती है। यह पंचायती राज प्रणाली की प्रथम इकाई है।

संरचना:

सरपंच: ग्राम पंचायत का अध्यक्ष होता है, जिसे ग्राम सभा द्वारा चुना जाता है।

पंच: प्रत्येक वार्ड से निर्वाचित सदस्य, जो पंचायत के कार्यों में भाग लेते हैं।

सचिव: सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी, जो रिकॉर्ड रखता है और प्रशासनिक कार्यों में सहायता करता है।

ग्राम पंचायत के कार्य:

1. आवश्यक सेवाओं का प्रबंधन:

सड़क, पानी, बिजली, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र आदि का निर्माण और रखरखाव।

2. विकास योजनाओं का कार्यान्वयन:

मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं को लागू करना।

3. कर संग्रह:

स्थानीय कर, बाजार शुल्क, संपत्ति कर आदि एकत्र करना।

4. विवाद समाधान:

गाँव में छोटे-मोटे विवादों का निपटारा करना।

5. पर्यावरण संरक्षण:

वृक्षारोपण, जल संरक्षण, सफाई अभियान चलाना।

हरदास ग्राम पंचायत का निर्णय:

गाँव के जल संकट के समाधान के लिए दो हैंडपंप गहरे करने और एक कुएँ की सफाई करने का प्रस्ताव पारित किया।

दीर्घकालिक समाधान के लिए वाटरशेड परियोजना पर जानकारी जुटाने का निर्णय लिया।

3. पंचायत के वित्तीय स्रोत

ग्राम पंचायत को कार्य संचालन के लिए धन की आवश्यकता होती है, जिसे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।

मुख्य वित्तीय स्रोत:

1. स्थानीय कर:

मकान कर, बाजार कर, जल कर आदि।

2. राज्य एवं केंद्र सरकार की सहायता:

जनपद और जिला पंचायत के माध्यम से विकास निधि प्राप्त होती है।

3. सरकारी योजनाएँ:

मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं के लिए विशेष निधि।

4. अनुदान एवं दान:

समाजसेवी संस्थाओं, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) से सहयोग।

वित्तीय पारदर्शिता और उत्तरदायित्व:

ग्राम सभा पंचायत के बजट और व्यय पर निगरानी रखती है, जिससे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

4. पंचायती राज प्रणाली के तीन स्तर

भारत में पंचायती राज प्रणाली को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है:

(i) ग्राम पंचायत (गाँव स्तर)

गाँव की प्रशासनिक इकाई, जो प्रत्यक्ष लोकतंत्र को बढ़ावा देती है।

गाँव की सभी विकास योजनाओं को लागू करती है।

(ii) पंचायत समिति / जनपद पंचायत (खंड स्तर)

ब्लॉक या तहसील स्तर की प्रशासनिक इकाई।

कई ग्राम पंचायतों का पर्यवेक्षण करती है।

कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई जैसी योजनाओं पर कार्य करती है।

(iii) जिला पंचायत (ज़िला स्तर)

जिले की सर्वोच्च पंचायत, जो पूरे जिले में विकास योजनाएँ बनाती है।

पंचायत समितियों के कार्यों की निगरानी करती है।

केंद्र और राज्य सरकार से धन प्राप्त कर पंचायत समितियों को वितरित करती है।

5. पंचायती राज प्रणाली की चुनौतियाँ

यद्यपि पंचायती राज प्रणाली ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, फिर भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

(i) भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएँ:

कई पंचायतों में धन के दुरुपयोग और पक्षपात की शिकायतें मिलती हैं।

गरीबी रेखा से नीचे (BPL) सूची में अपात्र लोगों के नाम जोड़े जाते हैं।

(ii) जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता:

निमोने गाँव की घटना में देखा गया कि पानी के समान वितरण को लेकर जातिगत भेदभाव हुआ।

महिला सरपंचों को पुरुषों के नियंत्रण में काम करना पड़ता है।

(iii) जनता की भागीदारी की कमी:

गाँवों में जागरूकता की कमी के कारण ग्राम सभा की बैठकों में कम लोग भाग लेते हैं।

जनता अक्सर पंचायत के कार्यों की निगरानी नहीं करती, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता है।

(iv) सीमित वित्तीय संसाधन:

पंचायतों को अपने बजट के लिए राज्य और केंद्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है।

स्थानीय कर प्रणाली कमजोर होने से राजस्व की समस्या बनी रहती है।

6. पंचायती राज प्रणाली में सुधार के सुझाव

पारदर्शिता बढ़ाना: पंचायत के बजट और व्यय का ऑडिट अनिवार्य किया जाए।

शिक्षा और जागरूकता: ग्रामीणों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जाए।

महिला और दलित सशक्तिकरण: पंचायतों में महिलाओं और पिछड़े वर्गों की भागीदारी को और प्रभावी बनाया जाए।

डिजिटल प्रबंधन: ई-पंचायत प्रणाली लागू कर ऑनलाइन रिकॉर्ड बनाए जाएँ।

निष्कर्ष

पंचायती राज प्रणाली भारत में लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाने का एक प्रभावी माध्यम है। ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला पंचायत मिलकर ग्रामीण प्रशासन को सुचारु रूप से संचालित करते हैं। हालाँकि, कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन पारदर्शिता, वित्तीय सुधार, और जनता की जागरूकता से इन्हें दूर किया जा सकता है। यदि इस प्रणाली को सही दिशा में विकसित किया जाए, तो यह ग्रामीण भारत के समग्र विकास में अभूतपूर्व योगदान दे सकती है।


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