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Directive Principles of State Policy: Guiding India's Vision for a Welfare State

 राज्य के नीति निदेशक तत्व: कल्याणकारी राज्य का मार्गदर्शक दर्शन प्रस्तावना: संविधान की आत्मा का जीवंत हिस्सा भारतीय संविधान का भाग 4, जो अनुच्छेद 36 से 51 तक फैला है, 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' (Directive Principles of State Policy – DPSPs) का खजाना है। ये तत्व भारत को एक ऐसे कल्याणकारी राज्य की ओर ले जाने का सपना दिखाते हैं, जहाँ न केवल राजनीतिक आज़ादी हो, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हर नागरिक तक पहुँचे। ये तत्व भले ही अदालतों में लागू करवाने योग्य न हों, लेकिन ये संविधान की उस चेतना को दर्शाते हैं जो भारत को समता, न्याय और बंधुत्व का देश बनाने की प्रेरणा देती है।  यह संपादकीय लेख भाग 4 के महत्व, इसके ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भ, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों को सरल, रुचिकर और गहन तरीके से प्रस्तुत करता है। आइए, इस यात्रा में शामिल हों और समझें कि कैसे ये तत्व आज भी भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्वतंत्र भारत का नीतिगत सपना जब भारत ने 1947 में आज़ादी हासिल की, तब संविधान निर्माताओं के सामने एक सवाल था: स्वतंत्र भारत कैसा होगा? क्या वह केवल औपनिवे...

एग्जाम के दिनों में तनाव प्रबंधन कैसे करें?

नजदीक आते ही विद्यार्थी तनावग्रस्त हो जाते हैं। कभी-कभी यह तनाव इतना हावी हो जाता है कि विद्यार्थी घर से भागने, डिप्रेशन में जाने या आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। विद्यार्थियों के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है तनाव प्रबंधन।

How to manage stress during exam days?


मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि एक सीमा तक तनाव लाभप्रद हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम एग्जाम को लेकर चिंतन नहीं करेंगे, तो अपनी कमियों को कैसे दूर करेंगे? लेकिन जब यह चिंतन चिंता में बदल जाए और हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर प्रभाव डालने लगे, तो यह घातक हो सकता है।

आइए जानते हैं कि चिंता को चिंतन में बदलकर हम अपने तनाव को कैसे कम कर सकते हैं।

चिंता को यूनिट में समझना

मान लीजिए, आपके एग्जाम में 25 दिन बचे हैं और परीक्षा पास करने की आपकी चिंता 100 यूनिट है। तो एक दिन की चिंता = 100/25 = 4 यूनिट होगी। इस स्तर पर तनाव कम होगा और दिनचर्या सामान्य रह सकती है।

अब यदि आपने पढ़ाई योजना-बद्ध तरीके से शुरू नहीं की और 5 दिन यूं ही निकाल दिए, तो अब केवल 20 दिन बचे हैं। ऐसे में आपकी चिंता का स्तर 100/20 = 5 यूनिट हो जाएगा। इसी प्रकार, यदि 15 दिन तक भी योजना नहीं बनाई, तो एग्जाम के केवल 10 दिन बचेंगे और चिंता का स्तर 100/10 = 10 यूनिट हो जाएगा। इस तरह धीरे-धीरे तनाव बढ़ता जाएगा, और आप इसे नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाएंगे।

फिर क्या करना चाहिए?

चिंता को तुरंत चिंतन में बदलना होगा। अपने सिलेबस को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करें और हर दिन के लिए एक व्यावहारिक लक्ष्य निर्धारित करें। प्रत्येक दिन का लक्ष्य उसी दिन पूरा करने की कोशिश करें।

यदि आप प्रतिदिन के हिस्से का सिलेबस पूरा करते रहेंगे, तो तनाव बढ़ना रुक जाएगा। तीन-चार दिन में ही यह प्रक्रिया आपके आत्मविश्वास को बढ़ा देगी। आपको लगेगा कि एग्जाम शुरू होने तक पूरा सिलेबस आपकी मुट्ठी में होगा। यह आत्मविश्वास आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करेगा, जो आपको और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी।

कमजोर विद्यार्थियों के लिए सुझाव

कमजोर विद्यार्थियों को सलाह है कि वे पहले इतना तैयारी करें कि फेल होने का डर खत्म हो जाए। इसके लिए आप पहले 30-35 अंक प्राप्त करने की रणनीति बनाएं।

एक या दो अंक के प्रश्नों पर फोकस करें।

हर प्रश्न के उत्तर में केवल दो महत्वपूर्ण बिंदु तैयार करें।

जो अध्याय सरल लगे, पहले उसे तैयार करें।

जब आप सुरक्षित स्थिति में आ जाएंगे, तब अधिक अंक प्राप्त करने के लिए तैयारी बढ़ाएं। इससे आप तनाव में नहीं आएंगे।

अंतिम सलाह

अंत में, यह समझना जरूरी है कि "स्कूल में सफलता जीवन में  सफलता की गारंटी नहीं है, और स्कूल में असफलता जीवन में असफलता की गारंटी नहीं है।" इसलिए स्कूल की असफलता को जीवन की असफलता न मानें। कोई गलत फैसला लेने से बचें।

अपनी बातें माता-पिता, दोस्तों या किसी विश्वासपात्र से जरूर साझा करें। आधे घंटे का समय प्रेरणादायक स्पीकर को सुनने या पढ़ने में लगाएं।

आपके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।

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